भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
* [[था कहा प्राण! तुमने मुझसे, “ढल रही यामिनी ढला करे / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते थे प्राण! “अखिल जग में गुंजित दुख-द्वन्द्व और ही है / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कहते, “रंजित करतीं जग को अमिता शरदेन्दु कलायें हैं/ प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[कंटकित हो गयी स्निग्ध सेज डॅंस रहा सर्पिणी-सदृश सदन / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
* [[आ जा व्रजपति के परम दुलारे! माखन तुम्हें खिलाऊँगी / प्रेम नारायण 'पंकिल']]
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits