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संदेहों का धूम भरा<br>साँसें<br>कैसे ली जायँ!<br><br>
अधरों में<br>विष तीव्र घुला<br>मधुरस<br>कैसे पीया जाय!<br><br>
पछतावे का ज्वार उठा<br>जब उर में<br>कोमल शय्या पर<br>कैसे सोया जाय!<br><br>
बंजर धरती की<br>कँकरीली मिट्टी पर<br>नूतन जीवन<br>कैसे बोया जाय!<br>
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