भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
}}
<poem>
यादे-जानाँ<ref>प्रेयसी की याद</ref> भी अजब रूह-फ़ज़ा <ref>प्राण-वर्धक</ref> आती है
हाय क्या चीज़ है ये तक्मिला-ए-हुस्नो-शबाब<ref>सुन्दरता और यौवन की पूर्ति</ref>
अपनी सूरत से भी अब उनको हया<ref>लाज,लज्जा</ref> आती है{{KKMeaning}}
</poem>