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किसी दरिया , किसी मझदार से नफरत नहीं करता ।

सही तैराक हो तो धार से नफरत नहीं करता । ।


यक़ीनन शायरी की इल्म जिसके पास होती वह -

किसी नुक्कड़ , किसी किरदार से नफरत नहीं करता।



परिन्दों की तरह जिसने गुजारी जिन्दगी अपनी -

गुलाबों के सफ़र में खार से नफरत नहीं करता ।



चलो अच्छा हुआ तुमने बहारों को नहीं समझा -

नहीं तो इस क़दर पतझार से नफरत नहीं करता।



फटे कपड़ों से तेरी आबरू ग़र झांकती होती-

मियां परभात तू बीमार से नफरत नहीं करता । ।
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