{{KKGlobal}}== प्यारी बेटी स्कूल जा रही है {{KKRachna =|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita}}<poem>अभी -अभी हमने लगभग जबरदस्ती बिस्तर से खीच खींच कर निकाला है उसे हाथ मैं में थमा दिया है ब्रश उनीदी उनींदी वह ब्रश कर रही है
माँ पूछ रही है उससे
क्या बस्ता जमा लिया था ?
जूतों पर पालिश है ?
बेल्ट और टाई कहा कहाँ रखी है ?
बेटी नहीं दे पा रही है सही जवाब
घर मे में पसरता जा रहा है तनाव हालाँकि बाहर फैलने को है सुबह
चिडिया चहचहाकर
सूरज का स्वागत कर रही हैं
अब इतना समय भी नहीं है
सूरज अभी तक नेपथ्य में है
बस स्टॉप पर उसे बस मैं में चढ़ा
लेता हूँ मैं चैन की साँस
घर जा कर निकालूँगा थोड़ी नींद
प्यारी बेटी स्कूल गयी है
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