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कुहरे की दीवार खड़ी है / कात्यायनी
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16:23, 16 फ़रवरी 2010
{{KKRachna
|रचनाकार=कात्यायनी
|संग्रह=
फुटपाथ पर कुर्सी / कात्यायनी
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
कुहरे की दीवार खड़ी है!
इसकेपीछे
इसके पीछे
जीवन कुड़कुड़
किए जा रहा मुर्गी जैसा ।
कुहरे की दीवार हटाओ ।
'''रचनाकाल''' : जनवरी-अप्रैल, 2003
</poem>
अनिल जनविजय
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