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{{KKRachna
|रचनाकार=कात्यायनी
|संग्रह=फुटपाथ पर कुर्सी / कात्यायनी
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<Poem>
कुहरे की दीवार खड़ी है!
इसकेपीछे इसके पीछे जीवन कुड़कुड़
किए जा रहा मुर्गी जैसा ।
कुहरे की दीवार हटाओ ।
'''रचनाकाल''' : जनवरी-अप्रैल, 2003
</poem>
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