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समयातीत पूर्ण-4 / कुमार सुरेश

50 bytes added, 16:17, 20 फ़रवरी 2010
{{KKGlobal}}==समयातीत पूर्ण ४{{KKRachna =|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita‎}}<poem>पाँच गुना असहाय और अकेली स्त्री
पाँच गुना अपेक्छाओं और लज्जा से दबी
का पंचम आर्तनाद
संरखछक हो ?
हे परित्राता
 
 
</poem>
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