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19:40, 21 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
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|वर्ग=अन्य गीत
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|रचनाकार=??
}}
<poem>मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ
हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ
मुशक़िल से वो दिन भुलाये थे हमने
फिर आ के छेड़ा बलम ने
फिर से धरक गईं छत्तियाँ
धरक गईं छत्तियाँ
हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ
रोते हैं नैना जिया तलमलाये
जावो कोई उनको लाये
कैसे बिताऊँ दिन-रतियाँ
बिताऊँ दिन-रतियाँ
हाय रामा मिल के बिछड़ गईं अँखियाँ..
</poem>