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23:18, 21 फ़रवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKFilmSongCategories
|वर्ग=अन्य गीत
}}
{{KKFilmRachna
|रचनाकार=शैलेंद्र
}}
<poem>
रुक जा रात ठहर जा रे चंदा, बीते न मिलन की बेला
आज चांदनी की नगरी में, अरमानों का मेला
रुक जा रात ...
पहले मिलन की यादें लेकर, आई है ये रात सुहानी
दोहराते हैं चांद सितारे, मेरी तुम्हारी प्रेम कहानी
रुक जा रात ...
कल का डरना काल की चिंता, दो तन है मन एक हमारे
जीवन सीमा के आगे भी, आऊंगी मैं संग तुम्हारे
रुक जा रात ...
</poem>