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पर मेरे ज़ख्म नहीं ऐसे कि भर जायेंगे
पहुँचेंगे रहगुज़रेरहगुज़र-ए-यार तलक हम क्योंकर
पहले जब तक न दो-आलम<ref>लोक-परलोक</ref> से गुज़र जायेंगे
आग दोजख़ की भी हो आयेगी पानी-पानी
जब ये आसी<ref>पाप करने वाला</ref> अरक़ेअरक़-ए-शर्म<ref>शर्म का पसीना</ref> से तर जायेंगे
हम नहीं वह जो करें ख़ून का दावा तुझपर
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