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एक दिन गर न हुआ बज़्म में साक़ी न सही
नफ़ज़नफ़स-ए-क़ैस के कि है चश्म-ओ-चराग़चिराग़-ए-सहरा गर नहीं शमशम्मा-ए-सियहख़ाना-ए-लैला लैली, न सही
एक हंगामे पे मौकूफ़ है घर की रौनक
नोहनौह-ए-ग़म <ref>दुःखों का विलाप</ref> ही सही, नग़्मा-ए-शादी <ref></ref> न सही
सिताइश सताइश<ref>प्रशंसा</ref> की तमन्ना न सिले की परवाह गर नहीं है मेरे अश'आर में माने माअ़नी न सही
इशरत-ए-सोहबत-ए-ख़ुबाँ ख़ुबां<ref>सुंदर प्रेयसियों की संगीत का आनन्द</ref> ही ग़नीमत समझो न हुई , "ग़ालिब" अगर उम्र-ए-तबीई तबोई<ref>नैसगिंक आयु</ref> न सही</poem>
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