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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
दायम<ref>हमेशा</ref> पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
ख़ाक ऐसी ज़िन्दगी पे कि पत्थर नहीं हूँ मैं
दाइक्यों गर्दिश-ए-मुदाम<ref> हमेशाकी चक्कर</ref> से घबरा न जाये दिल?इन्सान हूँ, प्याला-ओ-साग़र<ref>जाम</ref> नहीं हूँ मैं
या रब! ज़माना मुझ को मिटाता है किस लियेलौह-ए-जहां</ref> पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैंसंसाररूपी पृष्ठ<br/ref>ख़ाक ऐसी ज़िन्दगी पे के पत्थर नहीं हूँ मैंहर्फ़-ए-मुक़र्रर<brref>बार बार लिखा हुआ शब्द<br/ref>नहीं हूँ मैं
क्यूँ गर्दिश-ए-मुदामहद चाहिये सज़ा में उक़ूबत<ref>हमेशा की चिंताकष्ट</ref> से घबरा न जाये दिल<br>के वास्तेइन्सान आख़िर गुनाहगार हूँ, पियाला-ओ-साग़र<ref>जाम</ref> काफ़िर नहीं हूँ मैं<br><br>
यारब! ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिये<br>वास्ते अज़ीज़ नहीं जानते मुझे?लौहलाल--जहाँ<ref>संसाररूपी पृष्ठ</ref> पे हर्फ़ज़मुर्रुदो--मुकर्ररज़र-ओ-गौहर<ref>बार बार लिखा हुआ शब्दलाल,पन्ना,सोना और मोती</ref> नहीं हूँ मैं<br><br>
हद चाहिये सज़ा रखते हो तुम क़दम मेरी आँखों से क्यों दरेग़रुतबे में उक़ूबतमेहर-ओ-माह<ref>कष्टसूरज और चाँद</ref> के वास्ते<br>आख़िर गुनाहगार हूँ, काफ़िर से कमतर नहीं हूँ मैं<br><br>
किस वास्ते अज़ीज़ नहीं जानते मुझे<br>लालकरते हो मुझको मनअ़--ज़मुर्रुदोक़दम--ज़र-ओ-गौहर बोस<ref>लाल,पन्ना,सोना और मोतीपैर छूने से मना</ref>किस लियेक्या आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं<br><br>?
रखते हो तुम क़दम मेरी आँखों से क्यूं दरेग़<br>रुतबे में मेह्र-ओ-माह से कमतर नहीं हूँ मैं<br><br> करते हो मुझको मना-ए-क़दमबोस<ref>पैर छूने से मना</ref> किस लिये<br>क्या आसमान के भी बराबर नहीं हूँ मैं<br><br> 'ग़ालिब' वज़ीफ़ाख़्वार<ref> वृति (पेंशन) पाने वाला</ref> हो, दो शाह को दुआ<br>वो दिन गये कि कहते थे "नौकर नहीं हूँ मैं" <br><br/poem>
{{KKMeaning}}
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