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मुखर पुरुष ही / चंद्र रेखा ढडवाल
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02:15, 6 मार्च 2010
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मुखर पुरुष ही
आकण्ठ डूब जाता है पुरुष
तृप्ति के चरम क्षणों में भी
द्विजेन्द्र द्विज
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