भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुखर पुरुष ही / चंद्र रेखा ढडवाल
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
आकण्ठ डूब जाता है पुरुष
तृप्ति के चरम क्षणों में भी
ऊपर-ऊपर ही
तैरती औरत
लपकती है पा लेने को
इन्द्र-धनुषों की छुअन
***
छुअन और छुअन ही बस
आरोह में अवरोह में
मुखर पुरुष ही
शेष
केवल मौन