Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=डी० एच० लारेंस |संग्रह=आत्मा की आँखें / डी० एच…
{{KKGlobal}}
{{KKAnooditRachna
|रचनाकार=डी० एच० लारेंस
|संग्रह=आत्मा की आँखें / डी० एच० लारेंस
}}
[[Category:अंग्रेज़ी भाषा]]
{{KKCatKavita‎}}
<poem>
मेरे पाँव के पास चाँदनी बिछाओ भगवान !
दूज के चाँद पर मुझे खड़ा करो
किसी महाराजा के समान ।

टखने डूबे हों चाँदनी में,
मेरे मोजे मुलायम,चमकदार हों ;
और मेरे मस्तक पर
चाँदनी की झरती फुहार हो ।

शीतलता पर इतराऊँ, चमक पर मचलूँ
चाँदनी में तैरता हुआ मंजिल की ओर चलूँ ।

क्योंकि सूरज काल हो गया है ।
उसका चेहर शेर के समान लाल हो गया है ।
</poem>
916
edits