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प्रार्थना (आत्मा की आँखें) / डी० एच० लारेंस

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»  प्रार्थना (आत्मा की आँखें)

मेरे पाँव के पास चाँदनी बिछाओ भगवान !
दूज के चाँद पर मुझे खड़ा करो
किसी महाराजा के समान ।

टखने डूबे हों चाँदनी में,
मेरे मोजे मुलायम,चमकदार हों ;
और मेरे मस्तक पर
चाँदनी की झरती फुहार हो ।

शीतलता पर इतराऊँ, चमक पर मचलूँ
चाँदनी में तैरता हुआ मंजिल की ओर चलूँ ।

क्योंकि सूरज काल हो गया है ।
उसका चेहर शेर के समान लाल हो गया है ।

अंग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : रामधारी सिंह 'दिनकर'