भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
बूढ़ों का ये विचार है, जामुन का पेड़ है।
मिलते हैं चंदा सायेचंद साए, धुँधलकों में अब जिधर,
इक पीर का मज़ार है, जामुन का पेड़ है।