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बाउल / खेया सरकार
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14:54, 4 अप्रैल 2010
आकाश, हवा, पेड़, नदी सबसे कहती हूँ,
कहीं कोई बाउल देखो, तो मुझे बुलाना।
</poem>
'''मूल बंगला से अनुवाद : कुसुम जैन
</poem>
अनिल जनविजय
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