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किराए के दड़बानुमा महल में
टूटी कुर्सी के सिंहासन पर बैठ
जब कभीराजा पगड़ी बांधते थेउनकी पगड़ी का कलफ हलका पड़ने लगता
फिर खुले जीवन के भेद