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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |संग्रह=अन्न हैं मेरे शब्द / एकांत श्रीवास्तव }}{{KKCatKavita}}<Poem>दुनिया की सबसे पहली स्‍ञी स्त्री के <br />स्‍तनों से बहकर जो अमर हो गया<br />वही रंग है यह<br />यों यह आपको कॉंस काँस और<br />दूधमोंगरों के फूलों में भी मिल जायेगा<br />जाएगा<br />जब‍ स्ञियों स्त्रियों के पास<br />बचता नहीं कोई दूसरा रंग<br />वे इसी रंग के सहारे काट देती हैं<br />अपना सारा जीवन<br /><br />यह रंग उन बगुलों का भी है<br />जो नगरों के आसमान से<br />कभी-कभी तफरीह के लिए आते हैं<br />और बीट करते हैं गॉंव-बस्तियों के पेड़ों पर<br /><br />मैं इस रंग से पूछूंगा उस हंस के बारे में<br />जो मोती चुगता है<br />और जानता है मानसरोवर का पता<br /><br />यह रंग जब दीवारों से रूठ जाता है <br />लगभग निश्चित हो जाती है <br />उनके गिरने की तारीख<br /><br />जब टूट चुके तारों के शोक में<br />घर लौटते हैं हम<br />हमारे सामने एक साफ कागज साफ़ काग़ज़ में मुस्‍कुराता है यह रंग<br />हमें आमंञित आमंत्रित करता हुआ.<br />हुआ।<br /poem>
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