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शब, कि वह मजलिस फ़रोज़ - ए - खल्वत - ए - नामूस था
रिश्तः - ए - हर शमअ, खार - ए - किस्वत - ए - फानूस था

मशहद - ए - आशिक से कोसों तक जो उगती है हिना
किसकदर, यारब, हलाक - ए - हसरत - ए - पबोस था

हासिल - ए - उल्फत ना देखा, जुज शिकस्त - ए - आरजू
दिल बदिल पैवस्तः, गोया इक लैब - ए - अफ़सोस था

क्या कहूं बीमारी - ए - ग़म कि फरागत का बयां
जो कि खाया खून - ए दिल, बेमिन्नत - ए - कीमूस था
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