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शब कि वो मज़लिस-फ़रोज़े-ख़िल्वते-नामूस था / ग़ालिब
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शब कि वह मजलिस-फ़रोज़-ए-खल्वत-ए-नामूस था
रिश्ता-ए<ref>मोम का धागा</ref> हर शमअ़ खार<ref>काँटा</ref>-ए-किस्वत<ref>कपड़े</ref>-ए-फ़ानूस था
मशहद<ref>मकबरा</ref>-ए-आशिक़ से कोसों तक जो उगती है हिना
किस कदर या रब हलाक<ref>मौत</ref>-ए-हसरत-ए-पाबोस<ref>पांव चूमना</ref> था
हासिल-ए-उल्फ़त ना देखा जुज<ref>सिवा</ref> शिकस्त-ए-आरजू
दिल ब दिल पैवस्त<ref>जुड़ा हुआ</ref> गोया<ref>जैसे</ref> इक लब-ए-अफ़सोस था
क्या कहूं बीमारी-ए-ग़म कि फ़राग़त<ref>छूट, आजादी</ref> का बयां
जो कि खाया, ख़ून-ए-दिल बेमिन्नत<ref>कर्ज़दार</ref>-ए-कैमूस<ref>पेट में पचता हुआ खाना</ref> था
शब्दार्थ
<references/>