भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
:::दृगों में मोती की निधि खोलमगर जो उत्सुक-मन, झुक-झूम
:::चुकाया था मधुकण का मोलहलाहल पी जाते सह्लाद,
:::हलाहल यदि आया है यदि पासउन्हें इस विष में होता प्राप्त
:::हृदय अमर मदिरा का लोहू दूँगा तोल!मादक स्वाद।