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04:28, 29 मई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=रात-बिरात / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
बजा रहा है बड़े मजे से
आठ बरस का चुम्मकलाल
करमा, भरणी, लहकी, गेंडी
संगत सबके साथ उसी से
काली एक न काली दो
नहीं जानता आगे का सुर
साधे सहज सभी सुरों को
गुँजा रहा है घाटी भर में
पके बाँस की एक बाँसुरी
आठ बरस का चुम्मकलाल