भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
देखते आकाश बीती आज आधी रात,
व्यर्थ है ओ आय वो आये अब भी याद भूली बात,
सह चुका हूँ बहुत से आघात पर आघात,
अभी कुछ-कुछ रुका-सा था हृदय का रोदन!
53
edits