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लम्हों की / विजय वाते

4 bytes added, 04:36, 19 जून 2010
ये कहानी है खास लम्हों की|<br><br>
मेरी गोदी मई में चांद लेटा है,<br>
मेरी चादर उदास लम्हों की|<br><br>
सात घोडे घोड़े हैं, एक रास्ता रस्ता है,<br>
किसने थमी है रास लम्हों की<br><br>