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09:19, 29 जून 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रेणु हुसैन
|संग्रह=पानी-प्यार / रेणु हुसैन
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<poem>
इक पत्तल में आंसू रखे
इक में मधुर हंसी
इक में रखे मोती चुन-चुन
इक में प्रीत खरी
प्रियतम अपना गेह नीड़ है
तिनके हैं सब दर्द-ओ-पीर
न धरती के फूले ये सारे
न अंबर के चाँद-सितारे
सबने पीठ धरी
मैं पाती प्रेम भरी
धूप बहुत है चढ़ जाएगी
छाया छोटी मिट जाएगी
प्रियतम तेरा रहे सहारा
तूफ़ानों में मिले किनारा
उतरे पार तरी
मैं पाती प्रेम भरी
<poem>