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इंतज़ार-एक / रेणु हुसैन

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<poem>

मैं ज़िंदा हूं
हर घण्टा, हर घड़ी, हर पल
मुझे मार दो

मृत्यु की तिथि
कभी असामयिक नहीं होती
क्योंकि समय चलता है अविराम

मैं ज़िंदा हूं समय
तुम्हारे लिए
तुम्हारे इंतज़ार में


<poem>
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