478 bytes added,
14:30, 1 जुलाई 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कर्णसिंह चौहान
|संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / कर्णसिंह चौहान
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
पांचवें प्रेम में
फिर पछताया पेचीनोव
पूरब के प्रांगण का
अनगिन रहस्य भरा
वह मंदिर
कहां है?
<poem>