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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक }…
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{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक
}}
<poem>
आ गया मधुमास
देह्तन्त्री के खिचें हैं तार
कामनाओं के सहज स्पर्श से
बजने लगेंगे
खोज लाएँगे
किसी अनजान स्वप्निल लोक से
अब प्यार|
</poem>
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|रचनाकार=रमेश कौशिक
|संग्रह=कहाँ हैं वे शब्द / रमेश कौशिक
}}
<poem>
आ गया मधुमास
देह्तन्त्री के खिचें हैं तार
कामनाओं के सहज स्पर्श से
बजने लगेंगे
खोज लाएँगे
किसी अनजान स्वप्निल लोक से
अब प्यार|
</poem>