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मधुमास/रमेश कौशिक
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आ गया मधुमास
देह्तन्त्री के खिचें हैं तार
कामनाओं के सहज स्पर्श से
बजने लगेंगे
खोज लाएँगे
किसी अनजान स्वप्निल लोक से
अब प्यार|