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Kavita Kosh से
दो बदन
ओस में भीगते, चाँदनी में नहाते हुए
जैसे दो ताज़ा रू<ref>आत्मा</ref> ताज़ा दम फूल<ref>ताज़ा खिले हुए फूल०फूल</ref> पिछले पहर
ठंडी-ठंडी सबक रौ<ref>मंद गति से चलने वाली</ref> चमन की हवा
सर्फ़े मातम हुई