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|रचनाकार=मुकेश मानस
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<poem>

जन्मेगा किताबों में
पनपेगा किताबों में
इक्कीस का पट्ठा।

बोयेगा किताबों को
ढोयेगा किताबों को
इक्कीस का पट्ठा।

लड़ लेगा किताबों में
मर लेगा किताबों में
इक्कीस का पट्ठा।

1996, पुरानी नोटबुक से

<poem>
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