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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रविकांत अनमोल |संग्रह= }} <poem> वो हमारे हो न पाए बात …
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{{KKRachna
|रचनाकार=रविकांत अनमोल
|संग्रह=
}}
<poem>
वो हमारे हो न पाए बात बस इतनी सी थी
और हमने सारी दुनिया से किनारा कर लिया

उनकी यादें अपने सपने दफन कर डाले कहीं
और खुद को बैठे-थाले बेसहारा कर लिया
</poem>
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