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अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा / इक़बाल
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02:51, 17 सितम्बर 2010
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref>
के
को
तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं
</poem>
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द्विजेन्द्र द्विज
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