भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा / इक़बाल
Kavita Kosh से
अक़्ल ने एक दिन ये दिल से कहा
भूले-भटके की रहनुमा हूँ मैं
दिल ने सुनकर कहा-ये सब सच है
पर मुझे भी तो देख क्या हूँ मैं
राज़े-हस्ती<ref>अस्तित्व के रहस्य</ref> को तू समझती है
और आँखों से देखता हूँ मैं
शब्दार्थ
<references/>