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हम बहुत शर्मसार हो जाते।
तुम जो आते तो चान्द चन्द ही लमहातलम्हात, इश्क इश्क़ की यादगार हो जाते।
एक अपना तुम्हे तुम्हें बनाना था,
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।
तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोत दोस्त भी बेशुमार हो जाते।
आसरा तुम अगर हमें देते,