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तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
तुम अगर बेकरार हो जाते।
हम बहुत शर्मसार हो जाते।
तुम जो आते तो चन्द ही लम्हात,
इश्क़ की यादगार हो जाते।
एक अपना तुम्हें बनाना था,
ग़ैर चाहे हज़ार हो जाते।
तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोस्त भी बेशुमार हो जाते।
आसरा तुम अगर हमें देते,
हम तलातुम में पार हो जाते।