नन्ही मुन्नी सब चेहकारें कहाँ गईं 
मोरों के पेरों की पायल भेजो न ना
बस्ती बस्ती देहशत किसने बो दी है 
गलियों बाज़ारों की हलचल भेजो न ना 
सारे मौसम एक उमस के आदी हैं 
छाँव की ख़ुश्बू, धूप का संदल भेजो न ना
मैं बस्ती में आख़िर किस से बात करूँ 
मेरे जैसा कोई पागल भेजो नना