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|रचनाकार= श्रीकांत वर्मा|संग्रह=जलसाघर / श्रीकांत वर्मा
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<poem>
केवल अशोक लौट रहा है
कलिंग का पता पूछ रहे हैं
केवल अशोक सिर झुकाये झुकाए हुए है
और सब
विजेता की तरह चल रहे हैं
केवल अशोक के कानों में चीखचीख़ गूँज रही है
और सब
हँसते-हँसते दोहरे हो रहे हैं
केवल अशोक ने शस्त्र रख दिये हैं
केवल अशोक
लड़ रहा था।था ।</poem>