भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कलिंग / श्रीकांत वर्मा
Kavita Kosh से
केवल अशोक लौट रहा है
और सब
कलिंग का पता पूछ रहे हैं
केवल अशोक सिर झुकाए हुए है
और सब
विजेता की तरह चल रहे हैं
केवल अशोक के कानों में चीख़
गूँज रही है
और सब
हँसते-हँसते दोहरे हो रहे हैं
केवल अशोक ने शस्त्र रख दिये हैं
केवल अशोक
लड़ रहा था ।