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विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो / गुलाब खंडेलवाल


विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो
फूल मिल जाय तो नमन कर लो

पाँव चितवन के पड़ते हैं तिरछे
थोड़ा सीधा तो बाँकपन कर लो

प्यार ही प्यार है भरा सब ओर
चेतना को निरावरण कर लो

सब उसीका प्रसाद जीवन में
विष भी आया है तो ग्रहण कर लो

वन्दना इस तरह भी होती है
सर जहाँ है मेरा, चरण कर लो

मन्त्र तो बस है ढाई अक्षर का
जिसपे चाहो वशीकरण कर लो

मैं जलाता हूँ दीप आँधी में
छाँह आँचल की एक क्षण कर लो

हमने माना की खिल रहे हो गुलाब
सर पे काँटों को भी वहन कर लो