भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
सौ गुलाब खिले
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिंदी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- अँधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये / गुलाब खंडेलवाल
- अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ / गुलाब खंडेलवाल
- अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता / गुलाब खंडेलवाल
- अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है / गुलाब खंडेलवाल
- अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाये तो क्या! / गुलाब खंडेलवाल
- आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी / गुलाब खंडेलवाल
- आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे / गुलाब खंडेलवाल
- आप क्यों जान को यह रोग लगा लेते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- आप, हम, और कुछ भी नहीं! / गुलाब खंडेलवाल
- आये थे जो बड़े ही ताव के साथ / गुलाब खंडेलवाल
- उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयाँ किसकी! / गुलाब खंडेलवाल
- उनकी आँखों में प्यास देखेंगे / गुलाब खंडेलवाल
- उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता! / गुलाब खंडेलवाल
- उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे / गुलाब खंडेलवाल
- एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक / गुलाब खंडेलवाल
- कभी सिर झुकाके चले गए, कभी मुँह फिराके चले गये / गुलाब खंडेलवाल
- कभी हमसे खुलो जाने के पहले / गुलाब खंडेलवाल
- कहाँ पर हमको उम्मीदों ने लाके छोड़ दिया / गुलाब खंडेलवाल
- क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये / गुलाब खंडेलवाल
- क्या बने हमसे भला काग़ज़ की तलवारों से आज / गुलाब खंडेलवाल
- किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ ऐसे साज़ को हमने बजाके छोड़ दिया / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल
- कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में / गुलाब खंडेलवाल
- कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- कोई हमींसे आँख चुराये तो क्या करें / गुलाब खंडेलवाल
- कोई हमें सताये, सताता ही जाये तो / गुलाब खंडेलवाल
- खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है / गुलाब खंडेलवाल
- खिली गुलाब की दुनिया तो है सभीके लिये / गुलाब खंडेलवाल
- चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- चले भी आइये, क्यारी में सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
- जहाँ है दिल ने पुकारा, वहीं जाना होगा / गुलाब खंडेलवाल
- जान उन पर लुटाके बैठ गए / गुलाब खंडेलवाल
- ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये / गुलाब खंडेलवाल
- ज़िन्दगी दर्द का दाह है / गुलाब खंडेलवाल
- जो कहते हैं - 'हमसे लड़ाई हुई है' / गुलाब खंडेलवाल
- जो जीवन में दुख की घटा बन गयी है / गुलाब खंडेलवाल
- जो पीने में ज़्यादा या कम देखते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप / गुलाब खंडेलवाल
- झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती / गुलाब खंडेलवाल
- तुम्हारे रूप को चाहे भला कहे तो कहे / गुलाब खंडेलवाल
- तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता / गुलाब खंडेलवाल
- दम न छूटे तो चारा नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- दिया भी याद का इसमें जलाके रक्खा है / गुलाब खंडेलवाल
- दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है / गुलाब खंडेलवाल
- दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल
- दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये / गुलाब खंडेलवाल
- दिल को तुम्हारे वादे का एतबार तो रहे / गुलाब खंडेलवाल
- दीप जलता ही रहेगा रात भर / गुलाब खंडेलवाल
- दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- दो घड़ी की हँसी-ख़ुशी के लिए / गुलाब खंडेलवाल
- नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे / गुलाब खंडेलवाल
- नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो / गुलाब खंडेलवाल
- नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था / गुलाब खंडेलवाल
- नहीं एक दिल की लगी छूटती है / गुलाब खंडेलवाल
- नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है / गुलाब खंडेलवाल
- नहीं दुख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता / गुलाब खंडेलवाल
- न होंठ तक कभी आई, न मन के द्वार गयी / गुलाब खंडेलवाल
- निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो / गुलाब खंडेलवाल
- पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार की बात न कर, प्यार को बस रहने दे / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- प्यार में यों भी जीना हुआ / गुलाब खंडेलवाल
- प्राण में गुनगुना रहा है कोई / गुलाब खंडेलवाल
- फिर उन्हें हम पुकार बैठे हैं / गुलाब खंडेलवाल
- फिर किसी प्यार की पुकार है आज / गुलाब खंडेलवाल
- बड़ी हसीन है सपनों की रात, चुप भी रहो / गुलाब खंडेलवाल
- बहुत हमने खोया, बहुत हमने पाया / गुलाब खंडेलवाल
- बात होनी थी, होके रही / गुलाब खंडेलवाल
- बातें हम अपने प्यार की, उनसे छिपाके कह गये / गुलाब खंडेलवाल
- बिना अब आपके जीना तो साँसें जोड़ना ठहरा / गुलाब खंडेलवाल
- भले ही दिल न मिले आँख चार होती रहीं / गुलाब खंडेलवाल
- भले ही बाग़ में कोयल भी है, बहार भी है / गुलाब खंडेलवाल
- भोर होनी थी, होके रही / गुलाब खंडेलवाल
- मिलके आँखें हैं छलछलायी क्यों / गुलाब खंडेलवाल
- मुझे भी अपना बना लो, बहुत उदास हूँ मैं / गुलाब खंडेलवाल
- मुँह से कहते नहीं, 'गुलाब भी है' / गुलाब खंडेलवाल
- मिलने की हर ख़ुशी में बिछुड़ने का ग़म हुआ / गुलाब खंडेलवाल
- मेरा जीना प्यार का जीना, उनकी बातें काम की बातें / गुलाब खंडेलवाल
- मेरी चुप्पी भी उनको भा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल
- मौत आँखें दिखाती रही / गुलाब खंडेलवाल
- यह ज़िन्दगी तो कट गयी काँटों की डाल में / गुलाब खंडेलवाल
- यह तो वेला है ढलती रही / गुलाब खंडेलवाल
- रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे / गुलाब खंडेलवाल
- लगी है चोट जो दिल पर बता नहीं सकते / गुलाब खंडेलवाल
- लुभा रही है बहुत उनके देखने की अदा / गुलाब खंडेलवाल
- वनों में आग है, बिजली भी आसमान में है / गुलाब खंडेलवाल
- वहीं जो पाँव ठिठक जाय, क्या करे कोई / गुलाब खंडेलवाल
- विश्व उद्यान है, भ्रमण कर लो / गुलाब खंडेलवाल
- वैसे तो आज प्यार में हारे हुए हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- सबसे आँखें तो चार करते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- सभी तरफ है अँधेरा, कहीं भी कोई नहीं / गुलाब खंडेलवाल
- साज़ क्यों बज नहीं पाता है, कोई बात भी हो / गुलाब खंडेलवाल
- सुनते नहीं हैं पाँव की आहट कहीं से हम / गुलाब खंडेलवाल
- हम अपनी उदासी का असर देख रहे हैं / गुलाब खंडेलवाल
- हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं / गुलाब खंडेलवाल
- हम उनको अपना बना लें, कभी वो खेल तो हो / गुलाब खंडेलवाल
- हमसे किसीका प्यार छिपाया न जायगा / गुलाब खंडेलवाल
- हम यों भी कभी प्यार की ठोकर में जी गये / गुलाब खंडेलवाल
- हमारी रात अँधेरी से चाँदनी बन जाय / गुलाब खंडेलवाल
- हमारे प्यार का सपना भी आज टूट न जाय / गुलाब खंडेलवाल
- हमारे सामने आओ कि हम भी देख सकें / गुलाब खंडेलवाल
- हमारे सुर से किसीका सिँगार हो तो हो / गुलाब खंडेलवाल
- हमेशा दूर ही रहते हैं आप, क्या कहिए / गुलाब खंडेलवाल
- हमें तो कहते हो, 'अपना ख़याल है कि नहीं?' / गुलाब खंडेलवाल
- हरदम किसीकी याद में जलते रहे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल
- हुआ है प्यार भी ऐसे ही कभी साँझ ढले / गुलाब खंडेलवाल