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क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये / गुलाब खंडेलवाल

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क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये!
सामान मौत का ही इसे ला न दीजिये

बातें बना-बना के फिराते हैं मुँह सभी
सच है, भरम किसीको भी अपना न दीजिये

ढाढ़स है, मन का भेद है, आँचल की है हवा
देने की लाख चीज़ें हैं, धोखा न दीजिये

हो जाय बेसुरी मेरी साँसों की बाँसुरी
इस ज़िन्दगी को दर्द भी इतना न दीजिये

धीरज नहीं, भरोसा नहीं, प्यार भी नहीं
झूठी अब और जीने की आशा न दीजिये

भाती नहीं जो आपको गज़लें गुलाब की
उन पर न कान देना है अच्छा, न दीजिये