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अँधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये / गुलाब खंडेलवाल


अंधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये
वे कौन थे कि जो सपनों में आया जाया किये!

थे उनकी आँखों में आँसू ही बस हमारे लिए
नज़र से और कहीं बिजलियाँ गिराया किये

बहुत था प्यार भी इतना कि पास बैठे रहे
हमारी बात को सुन-सुनके मुस्कुराया किये

सभीको एक ही चितवन से कर दिया मदहोश
सभीको एक ही प्याले से बरगलाया किये

उन्हींको उम्र की राहों में रख दिया हमने
दिए जो आपकी पलकों में झिलमिलाया किये

पता नहीं कि उन्हें कौन-सी रंगत हो पसंद!
हज़ारों रंग से घर अपना हम जलाया किये

नज़र से दूर भी जाकर हैं उनके पास बहुत
गुलाब प्यार के गीतों में छिपके आया किये