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दम न छूटे तो चारा नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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दम न छूटे तो चारा नहीं
वरना जीना गवारा नहीं
कोई था जब नहीं था कोई
हमने मुड़कर पुकारा नहीं
हाल सबका यही प्यार में
कुछ हमारा-तुम्हारा नहीं
इस तरफ़ का किनारा तो है
उस तरफ़ का किनारा नहीं
पास रहते हैं हरदम गुलाब
कोई काँटों से प्यारा नहीं