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मौत आँखें दिखाती रही / गुलाब खंडेलवाल
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मौत आँखें दिखाती रही
ज़िन्दगी मुस्कुराती रही
प्यार रोता रहा रात भर
रूप को नींद आती रही
जानेवाले तो ठहरे नहीं
लाख दुनिया मनाती रही
वन में पतझड़ भी होता रहा
और कोयल भी गाती रही
उनके चरणों में पहुँचे गुलाब
लाख दुनिया बुलाती रही