भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी
होठ खोले न थे, बात भी हो गयी
अब तो यह ज़िन्दगी आपकी हो गयी
भूल जो भी हुई थी, सही हो गयी
उनका वादा सुबह-शाम टलता रहा
ख़त्म ऐसे ही कुल ज़िन्दगी हो गयी
प्यार की राह में, आँसुओं ने कभी
बात जो थी कही, अनकही हो गयी
चाक होने से दिल क्यों बचेगा, गुलाब!
अब तो काँटों से ही दोस्ती हो गयी