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रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे / गुलाब खंडेलवाल
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रहे न चाँद, यही चाँदनी रहे न रहे 
उभर रही है जो रंगत नयी, रहे न रहे 
दिलों की कल यही आवारगी रहे न रहे 
हसीन शाम की ऐसी घड़ी रहे न रहे 
हमारे प्यार की यह ताज़गी न कम होगी 
किसीके रूप की जादूगरी रहे न रहे 
जो आ सको तो अभी आके एक नज़र देखो 
नहीं तो कल कहीं बीमार ही रहे न रहे 
किसीकी याद कसकती रहेगी दिल में सदा 
ये चार दिन की भले ज़िन्दगी रहे न रहे 
अभी तो कहते हैं, 'दे देंगे जान,' पर देखें 
पहुँच गये तो वहाँ जान ही रहे न रहे 
गुलाब! आपकी ख़ुशबू तो उनके साथ रही 
अब इसका सोच नहीं, पंखड़ी रहे न रहे 
	
	