भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शांतिपान / मुकेश निर्विकार
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
रसपान और जलपान की तरह ही
एक होता है शांतिपान
जिसके लिए तड़पती है
हमारी आत्मा, हरपल
कलियुग की सार्वजनीन, सर्वव्यापी अराजकता और
अशांति में तो/और भी|
अपने अधाये पेट और तृप्त रसना
के बावजूद/मैं सदा तरसता हूँ
सुकून और शांति के लिए|
क्षमायाचना की तरह
एक शांतियाचना भी होती है
मैं कुदरत से निरंतर शांतियाचना
करता हूँ:
हे प्रभो! सुख-शांति दो
तृप्ति भर! अन्दर तक सोख सके
मेरी अतृप्त आत्मा जिसे!